खुद ही सबसे हाथ मिलाना शायद अच्छी बात नहीं
अपने दिल का हाल बताना शायद अच्छी बात नहीं.
झूंठ और मक्कारी की जब सारी दुनिया कायल हो
सच्चाई की अलख जगाना शायद अच्छी बात नहीं.
रूठ रहा जो शख्श जरा सी छोटी छोटी बातों बातों पर
उस पर अपना प्यार लुटाना शायद अच्छी बात नहीं.
एक तरफ भूखी जनता है एक तरफ है एय्याशी है
हुक्कामों की नींद जगाना शायद अच्छी बात नहीं.
जिनको होश नही है यारो जनम जनम के प्यासे हैं
बूंदो से उनको बहलाना शायद अच्छी बात नहीं.
रूखी सूखी रोटी भी तो छीन रहे है अब आका
अपने पेट की आग बुझाना शायद अच्छी बात नहीं.
दास नही दुनियां भर में जो भीख कटोरा ले मांगे
अपना सर उंचा उठ जाना शायद अच्छी बात नहीं.
शिवचरण दास
हमे पसन्द आया……..
बहुत बहुत आभार