“संयोग” ( अंश दो )
{{ पानी }}
पर्वत से निकली एक धारा
जिसको जल नाम से पुकारा गया !
एक लहर चली नदी बन अंगड़ाती
जिसमे इंसानो द्वारा नहाया गया !
किसी लहर पर सागर, नदियों में
पूजा के पुष्पदीप को बहाया गया !
उन बूंदो की किस्मत में लिखा था रोना
जिनको शव के मुहँ में डाला गया !
संयोग उस लहर के हिस्से का देखो,
जिसे कैद कर बर्तन में सजाया गया
दे गंगाजल नाम उन कुछ बूंदो को
स-सम्मान देवो पर चढ़ाया गया !!
डी. के. निवातियाँ——!!!