“संयोग” ( अंश एक )
{{ पत्थर }}
एक पत्थर के टुकड़े चार हुए
किस्मत के हाथो नचाया गया !
पहले से बनी मंदिर कि सीढियाँ
सबके पैरो तले रौंदा गया !
दूजे पर लिखा ईश्वर का नाम
उसको द्वार पर सजाया गया !
तीजे से भगवान की चौकी बनी
जिसपे “देव” को बिठाया गया !
संयोग देखो उस शेष टुकड़े का,
जिसको देवता रूप में ढाला गया !
दुनिया ने पूजा श्रद्धा भाव से..
और चरणो में शीश नवाया गया !!
डी. के. निवातियाँ——!!!