Homeवसीम बरेलवीकितना दुश्वार है दुनिया ये हुनर आना भी कितना दुश्वार है दुनिया ये हुनर आना भी अशोक धर वसीम बरेलवी 22/01/2012 No Comments कितना दुश्वार है दुनिया ये हुनर आना भी तुझी से फ़ासला रखना तुझे अपनाना भी ऐसे रिश्ते का भरम रखना बहुत मुश्किल है तेरा होना भी नहीं और तेरा कहलाना भी Tweet Pin It Related Posts कहाँ तक आँख रोएगी कहाँ तक किसका ग़म होगा क्या दुःख है, समंदर को बता भी नहीं सकता हुस्न बाज़ार हुआ क्या कि हुनर ख़त्म हुआ About The Author अशोक धर I am Hindi poem lovers and publish poems at hindisahitya.org Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.