एक तरफ धूम थी,दिखती थी आतिशबाजियां
दूजी तरफ गम था ,गिरती थी आँसूओ की बुँदिया ,
कोई खुश था दिवाली के जश्न मेँ ,
कहीं ख़तम हो रही थी खुशियां ।
जो रॉकेट छोड़े खुश रहने वालो ने ,उसने
आग लगा दी भूखों मरने वालो की झोपड़ियाँ ,
खूब बुरा जश्न मना उनके घर चिताओं की
और बाहर जल रही थी रंग बिरंगी फुलझड़ियाँ ।
बहुत खूब। मेरी रचना पर गोर करे।