अमन की वकालत बहुत हो चुकी है
रहम की अदालत बहुत हो चुकी है .
अभी और कितने इम्तहान हैं बाकी
वतन कि जलालत बहुत हो चुकी है.
उन्हें प्यार में है लाशों की ख्वाहिश
जहर की तिजारत बहुत हो चुकी है.
यहां हर कदम पर बमों के धमाके
जहन की बगावत बहुत हो चुकी है.
हमारे ही घर में घुसे हैं लुटेरे
उन्हीं की अदावत बहुत हो चुकी है.
उठें हाथ जो भी उन्हॅं तोड डालो
चमन की हिफाजत बहुत हो चुकी है.
शिवचरण दास