Homeअरुण कमलवापस-1 वापस-1 शिवम अरुण कमल 22/02/2012 No Comments जैसे रो-धो कर चुप हो हाथ-मुँह धो अंतिम हिचकी भर वापस चूल्हे के पास लौटती है नई वधू भाई के जाने के बाद वैसे ही लौटो तुम भी बहुत हुआ बहुत रोए-गाए अब साँझ हो रही है बत्ती जलाओ और शुरू करो फिर वही पाठ वहीं जहाँ छोड़ा था कल। Tweet Pin It Related Posts उम्मीद संगीत जिसने ख़ून होते देखा About The Author शिवम Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.