Homeअज्ञात कविमाेदी माेदी Suvedi Hom अज्ञात कवि 18/11/2014 No Comments तुम कहते रहाे कहना तेरा धर्म है मै चलता रहूँ चलना मेरा धर्म है तुम उडते रहाे पङ्ख विना उड्ना भी तेर धर्म है मै चलता रहूँ खाली पैर चलना मी मेरा मेरा धर्म है । Tweet Pin It Related Posts एहसाास वर्षा का आया नया विहान (डॉ. विवेक कुमार) हाय- तौबा बी पी शर्मा बिन्दु About The Author suvedi.hom Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.