किस मुले का है असर फैल रही है किड दोनो हाथों से लूट रही है नेताओकी भीड
यहां
लोकतंत्र को घात लगाते और संविधान को हात
तोडनेवाले लगता है ये भारत माँ की रीड
यहां
बातबात पर हो हल्ला संसद मे रहा न शिष्टाचार
जनता मारे बीलख रही है कोइ न जाने पीड यहां
विधी का विधान न जाने मनोरुग्नता के शिकार
बेइन्साफी और छली की आती मुझको चीढ़ यहां
रचनाकार/कवि- धिरजकुमार ताकसांडे (९८५०८६३७२२)