छोड़कर यूँ ना जाओ हमें…
हम भी कही दूर चले जायेंगे…
दूर से यूँ ना तड़पाओ हमें…
वरना हम भी तुम्हें तड़पायेंगे…
एक बार गले से लगा लो हमें…
वरना हम भी कभी तुम्हें न अपनायेंगे…
——————————-(Moon)
नीलकमल वैष्णव”अनिश”
मेरे बारें में आप मुझसे ज्यादा समझ सकते हैं,,, बशर्ते आपको अपनी पारखी नजरों से मुझे पढ़ना होगा,,, क्योंकि मेरी जिंदगी एक खुली किताब सी है कुछ भी नहीं छिपा है किसी से....