बड़ी मुश्किल से ये
मुकाम आया है
किसी की जुबां पे
मेरा नाम आया है
यूं ही दब रहा था
रूसवाई के ढेर में
किसी मुफ़लिस जगह को
मेरा ख़याल आया है
कभी कभी लगता था
भीड़ में अकेला हूँ
किसी अजनबी ने हाथ
मेरी तरफ बढ़ाया है
फिर से ज़िंदा किया
सहारा देकर मुझे
एक पल किसी ने अपना
मेरे लिए लगाया है
भागता तो रहता हूँ
हमेशां से ही मैं
पर आज सकून
साथ चलने में आया है
थोड़ा सा छूआ था मेरे
अह्शाशों ने दिल उसका
वो ढूंढता हुआ मुझे
मेरे घर तक आया है