आज हर कोई दुखी है l
कोई दूसरों के सुख से दुखी है l
कोई सुख की कमी से दुखी है ll
कोई अपनों से परेशान है l
कोई दूसरों को देख हैरान है ll
जहाँ तू कम वेतन का रोना रोता रहता है l
वहीं भिखारी दो पैसे मिलने पर भी बहुत खुश रहता है ll
जहाँ तू दोस्तों के ना होने पर दुखी हो जाता है l
वहीं प्यार से तो जानवर भी दोस्त बन जाता है ll
जहाँ कुछ दूरी पैदल चलने पर तू परेशान हो जाता है l
वहीं कोई बैशाखी का सहारा ले दूरी तय कर जाता है ll
जहाँ तू दूसरों के महल को देखकर दुखी हो जाता है l
वहीं पाइप को ही कोई अपना आशिआना बना खुश हो जाता है ll
जहाँ सब्ज़ी का थैला उठाने में ही तू परेशान हो जाता है l
वहीं कोई हँसते हुए सौ किलो की बोरी भी अपनी पीठ पर उठा लाता है ll
जहाँ भरपेट खाना मिलते हुए भी तू रोता रहता है l
वहीं किसी को रोटी भी नसीब नहीं होती और वो भूखा सोता है ll
सुख हर इंसान के भीतर ही छुपा है l
जिसे वो देख नहीं पा रहा है,
और अंदर ही अंदर आज वो कुढ़ता जा रहा है ll
अगर तू सुखी रहना चाहता है तो तू एक बात गाँठ बांध लें l
ईश्वर ने जो कुछ भी दिया है उसे हँसते हुए स्वीकार लें ll
अपने से ऊपर नहीं नीचे देख तू उनसे अपने को ऊपर पायेगाl
उनके दुःख को देख तू भी अपने दुःख को भूल जायेगा 1
और यही एक कला है जिससे तू हमेशा सुखी रह पायेगा 11
बहुत खूब लिखा है आपने राजीव जी!
धन्यवाद भास्कर आनंद जी
वाह राजीव वाह. बहुत अच्छा
धन्यवाद ! प्रवीन