तुम कत्ल को जेहाद हम
हत्या की नजर से देखते हैं,
अपनी जमीं पर भी तुम्हें
अपनी नजर से देखते हैँ।
देखने दिखाने का अपना-
अपना नजरिया है दोस्त,
हम तो खुदा में भी
राम और क्रष्ण देखते हैं।
गर हमारे विचार तुम्हारे
विचारों से मेल खाते तब,
हम भी आबादी बढाने का
तुम्हारा तरीका अपनाते तब,
भारतभूमि अपना संतुलन
खो देती तब तब क्या होता?
भारत में पाक का दीदार
होता तब क्या होता?
टिप्पणी-भारत-पाक युद्ध ऑपरेशन विजय के दौरान की कविता।
bahut sahi likha hai aapne..
धन्यवाद भास्कर आनंद जी