Homeविकाश प्रताप सिंहबिगड़ जाते जाते है बिगड़ जाते जाते है DR. VIKASH PRATAP SINGH विकाश प्रताप सिंह 02/11/2014 No Comments आते जाते चेहरों को हम अब पढ़ जाते है बात बात पे न जाने वो क्यों अब लड़ जाते है ये आशिकी आसान नहीं , जरा ऐतिहात बरतना खुली छत पे कबूतर अक्शर बिगड़ जाते जाते है Tweet Pin It Related Posts कही और चले जरूर न जाने कितने बेचारे About The Author RAJPUTBOY स्नातकोत्तर : M .COM दिल्ली विश्वविधालय, MA ( राजनीती विज्ञानं ) नालंदा विश्वविधालय MA (मनोविज्ञान ) MDU वर्ष 2014 में पीएचडी राजनीती विज्ञानं नालंदा विश्वविधालय Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.