डांट नहीं,
प्यार भी नहीं,
मनुहार भी नहीं,
वार भी नहीं।
ख़तरनाक-
लटका हुआ लोर,
अटकी हुई बहस,
टंगी हुई सांस
टूटता विश्वास।
ख़तरनाक-
मां का रोना,
बहन की सुबकी,
पत्नी के आंसू,
पिता का रूदन।
ख़तरनाक-
मंा-बाप के सामने,
बच्चों का बिखराव,
घर में दरार,
आवाज में अपरिचय।
अच्छा काम कर रहे हो कौशलेन्द्र. इसे और व्यापक स्तर पर ले जाओ
ji aapki prerna se likh raha hun