वक़्त बेवक्त ही सही, मेरे ख्वाबों में सही,
लहराते बादल सी तुम,
आया करो, बरस जाया करो।
बहुत सूख गया है मेरा जहन,
उस बियाँबान को गुलिस्तां करने,
आया करो, बरस जाया करो|
बहुत देखे मौसम इस दिल ने,
अब हरसूं सावन तुम,
आया करो, बरस जाया करो।
नहीं मुमकिन अगर मिलना रोज़, न सही,
एक झलक तो दिखलाया करो,
बस मुस्कुराया करो।
Very nice Jitendra.
Thanks Sandeep ji.
Hmmm nice one
आभार संदीप जी|
बेहतरीन
आभार अरुण जी|