चलो हम कुछ यूँ करें,
तुम इस रस्ते जाओ, मैं उस रस्ते,
किसी मोड़ पे फिर मिलें अन्जानों की तरह,
फिर से वही पहली नज़र का प्यार हो।
चलो हम कुछ यूँ करें,
तुम मुझसे फिर कहीं यूँही टकराओ,
नज़रें मिलते ही मुस्कुराओ और शरमाओ,
फिर से वही नज़रों में इकरार हो।
चलो हम कुछ यूँ करें,
तुम कहीं खोई सी बैठी हो, और मैं आ जाऊं,
कोई नगमा छेडूँ, गुनगुनाऊँ, किसी तरह तुम्हे रिझाऊं,
फिर से वही दिलों में झंकार हो।
चलो हम कुछ यूँ करें,
लौट जाएँ अपने बीते कल में,
वो लम्बी चहलकदमियां साथ में हो,
फिर से मेरा इज़हार हो।
चलो हम कुछ यूं करें,
बाँट लें अपने सुख और दुख बराबर,
अपना हिस्सा एक दुसरे से ज़्यादा रख लें,
फिर से वही तकरार हो।
चलो हम कुछ यूँ करें,
तुम मेरी हो जाओ, मैं तुम्हारा,
इस प्यार को एक अंजाम दें,
फिर न छूटने वाला साथ हो।
Kya baat hai.
शुक्रिया संदीप