1-
यूँ भी न मुस्कुराइए कि
मंजर बदलने लगे,
हालत तन्हा मुसाफिर की
सुधरने लगे,
फिर कहाँ होगी फुर्सत
सर उठाने की हमको,
गर आसमां ही जमीं पर
उतरने लगे।
2-
चल पड़ेंगे साथ हम
क्या हसरतों का पालना,
सो जाएंगे कहीं
क्या समय का काटना,
ये जरूरी तो नहीं
मंजिल मिले हमें जरूर,
चल रहे हैं साथ हम
बदल रहा है शुरूर।
3-
अहसास करो मौत का
जीवन को आभास दो,
चला गया जो छोड़कर
उसका भी अहसास दो,
कल तक हमारे साथ उसने
ठहाके लगाए थे बहुत,
अब गया तो क्यों भला
जीवंत,सुखद,श्वांस दो।
4-
जुनून की इन जड़ों को
खोदकर तो देखिए,
किसने दी है सह इन्हें
कुरेदकर तो देखिए,
सिलसिला खुदकुशी का
रोकना होगा मगर,
भेड़ियों को अंजाम तक
पहुँचाकर तो देखिए।
5-
तू क्यों उस राह पर
चल रही है,
जहाँ हसरत
दम भर रही है,
सजा कोई किरदार
अहं खुशी के लिए,
चंद लम्हा दे सके
जो जिन्दगी के लिए।
Very nice.
धन्यवाद
bohot Khub
आभार जगताप जी