प्रभु अब तो बुला ले
पैरो में पड़ी है छाले
प्रभु अब तो बुला ले
आँखों में पड़ी है जाले
प्रभु अब तो बुला ले
गम की बोझ बड़ी है
अब तो सहारा छड़ी है
देखते नहीं हैं घर वाले
प्रभु अब तो बुला ले
आँगन हुआ परदेश
न आती कोई शंदेस
खुद पे मुझ को मिला ले
प्रभु अब तो बुला ले
बैठे हो कितने दूर
क्या तुम भी हो मजबूर ?
तोड़ दे जिंदगी के ताले
प्रभु अब तो बुला ले
साँसे रुक रुक चलती है
आँखों से गम बहती है
खुद भी तो आँशु बहा ले
प्रभु अब तो बुला ले
हरि पौडेल
नेदरल्याण्ड
१२-१०-२०१४
मे तो बस २४ वर्ष का हु, पर आप की कविता ने मुझे इस आयु मे उस दर्द का एहसास कराया हे जो जिवन की आखरी पलो मे होता हे। बोहोत खुब हे आप कि कविता प्रभु अब तो बुलाले ॥
प्रिय Sandeep Jagtap जी, मुझे ये जानकार बहुत ख़ुशी हुई की इस कविता ने आपका दिल छू लिया. आप २४ साल के है. आपके माता पिता के आशीर्वाद आप के साथ जरूर होगी. बस ख़याल कीजिएगा की माता पिता को आपसे कुछ मांगने की लिए मुह खोलना न पड़े.
आपकी मीठी प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद!!
जी जरुर, आप कि असी कविता हमे हमारे धर्म ओर कर्तव्य की याद दिलाती रहेगी। और हमसे भी कोइ गलती ना हो इसका हम ध्यान रखेंगे। ॥ धन्यवाद ॥
आपको भी धन्यवाद Sandeep Jagtap जी!
वर्तमान युग के बुजुर्गो की मनोव्यथा भावुक शब्दों में बड़े सुन्दर ढंग से व्यक्त की है !!
प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद D K NIVAATIYAN जी!
नमस्कार श्रीमान जी !
वेबसाइट पर मैं हमेशा बढ़िया कविता ढूँढने मे सफल रहा हूँ, ये मेरा भाग्य है या मेरी काबलियत पर जो भी है मुझे लगता है की मेरे पर माँ भगवती की असीम कृपा है जो मुझे जहां पर मैं हाथ डालता हूँ वही कविता-रूपी रत्न मिल ही जाता है। आपकी इस कविता पर मैं क्या टिप्पणी करूँ।
हृदय की असीम करुणा और पीड़ा की गहन अनुभूति जब अपने चरम पर होती है और शब्दो मे ढलने लगती है तो ऐसे कविता बन जाती है, ऐसी कवितायें लिखी नहीं जाती, बस अपने-आप ही उस निराकार-साकार-सत्ता की कृपा से हमारे मुख से निकल ही जाती है। ऐसे ही एक दिन उस निराकार ने मेरे ऊपर भी कृपा की थी जिस दिन उसने मुझसे कविता “च्यार दिना की मिली ये ज़िंदगानी रे।” लिखवाई थी।
आपकी इस कविता के माध्यम से झाँकने वाली उस परम सत्ता को सादर प्रणाम।
श्रीमान manoj charan जी ये जानकार मुझे बहुत ख़ुशी हुई की आपको यह कविता पसंद आई पर मै यहाँ यह कहना चाहता हूँ की मै हिंदी भाषी नहीं हूँ और मुझे शुद्ध हिंदी आती नहीं. आपने मेरे कविता की जो बेहतरीन तारीफ़ की है उससे मुझे हिंदी में कविता लिखने के लिए बहुत ही उत्साह बर्धक प्रोत्साहन मिली है, इसके लिए आपको आभार के साथ बहुत बहुत धन्यवाद!!