आप का भाव ही आप की वंदना।
साधना रस में मन रमा लीजिए॥
मन भटक न जाये विषय भोग में।
राह पर फूल कांटे बिखरे हुए॥
भक्ति सरिता धवल बही धार बन।
उष्ण मन के विचारों को शीतल करे।।
अर्चना की कडी़ भावना में बधी।
हृदय वाटिका में मज्ज्जनकरा लीजिए॥
तब धुलेगी मन की कालिख सभी।
सुमन की कली हृदय मेंखिला लीजिए॥
भक्ति की मोतियों को जुटाते रहो।
मन सागर का द्वार खिला लीजिए॥
मन के भावों में कमल नाथ पद।
हृदय सुमन से निज को मिला लीजिए||
bhakti ki motiyo ko jutate raho,,,…..bhakti ki motiyo ko JAPTE raho ya phir bhakti MEIN motio ko jutate raho
हिन्दी साहित्य काव्य संकलन को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं