रीझा-2 के देख ली दुनिया, अब अलग थलग सा रंग होगा
कुछ सिंह ले दहाडेगें, कि हर कोई अब दंग होगा
राजा अब न राजा होते, केवल भक्षक होते हैं
सौंप कटारें उन के हाथों, हम बेचारे रोते हैं
छीने अपने अधिकार सब, कुछ ऐसा रूप दबंग होगा
रीझा-2 के देख ली दुनिया, अब अलग थलग सा रंग होगा
हर कवि के अन्दर जैसे एक पीड़ा होती है उस पीड़ा का वास्तविक चित्रण हर दिन हम सबके सामने होता है कवि तो केवल शब्दकार है।धन्यवाद
शुक्रिया मुकेश जी