आते हो तो आ जाओ बसते हो तो बस जाओ ।
बहुत छोटा घरौंदा है छिपते हो तो छिपते हो तो छिप जाओ ।।1!!
इसे तालाश है तेरी तुम्हें तलाश इसकी है ।
मंजिल मिल रही तुमको बढते हो तो बढ़ जाओ ।।2!
उजाला है नहीं इसमें अँधेरा हैं बहुत गहरा ।
चिरागों सा तुम्हें जलना जलते हो तो जल जाओ ।।3!!
पड़ी हैं लालिमा इसमे तपन बारिश की पा करके ।
पल दो पल ही शबनम सा छाते हो तो छा जाओ ।।4!!
नही उम्मीद मुझको हैं बने नासूर जख्मों पर ।
अपने अश्क का मरहम लगाते हो लगा जाओ ।।5!!
पड़ी कलियों पर निगाहें थी कांटे आ चुभे फिर भी ।
अपनी पलको का चिलमन बिछाते हो बिछा जाओ ।।6!!
इन सकूं की राहों में जहाँ को छोडना होगा ।
अगर हैं हौसला इतना दिल पर आ सिमट जाओ ।।7!!
रहे खामोश अब तक क्यूँ आदत हैं नहीं अच्छी ।
अदालत हैं मुहब्बत की कहते हो तो कह जाओ ।।8!!
बड़ी उम्मीद हैं इनमें बड़ी तन्हाईयां पनपी ।
पड़ी बरसों से खाली हैं रहते हो तो रह जाओ ।।9!!
दिल के इन किनारों से उठेगी गम की जब लहरें ।
कहेगा न कभी “आकाश”बहते हो तो बह जाओ ।।१०!!
नहीं आसान है रहना दिल के इन मकानों में ।
आखिर है अभी मौका रहते हो तो रह जाओ ।।११।।