तुम मिले
और
वर्षों बीत गये
तेरे इन्तज़ार मे
कि शायद
कभी
किसी दिन ।।1।।
तब तक
यादें
आती रही
भरोसा मुझे भी था
उस पल का
कभी
किसी दिन ।।2।।
और आज
तक
तेरा चेहरा
प्रतिबिंबित था कि
तुम मिलोगे
कभी
किसी दिन ।।3।।
मिले भी
इत्तिफाक से
पर मुड़कर भी न देखा
क्या मिल सकेगी
मेरे यादो की कीमत
कभी
किसी दिन ।।4।।
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