मैंगाई तो बढ़बा लागी, ज्यू दिनूगे की छाया रे।
राज बिचारो काईं करैला, आछा दिन आया रे।।
आलू टिंडा और टमाटर भोत घणा दिन खाया हा।
भिण्डी-तरिया-घिया म्हे तो थोक भाव में तुलाया हा।
फली-काचरा-काकड़िया म्हे थेला भर-भर ल्याया हा।
गोभी, परवल गलग्या जका गायां नै खुवाया हा।
कांदा अर खीरा काकड़ी सलाद मैं कटाया रे।
मैंगाई री माया न्यारी, आछा दिन आया रे।।
डीजल अर पटरोल देखो नित रा भाव बढ़ावै है।
बिजली वाला बिल भाईड़ा रोज करंट लगावै है।
रसोई मैं खाली पड़ियों सलेंडर गरणावै है।
भाड़ों-भट्टो सोक्यूं बदग्यो मिनखा नै भरमावै है।
आणू-जाणू मैंगो, भाड़ा रेल भी बढ़ाया रे।
मैंगाई री माया न्यारी, आछा दिन आया रे।।
बेटी रो ब्याव कियाँ मांडा, बाप रै मन मैं ओचांटों।
टूम-ठेकरी कियाँ घड़ास्या, कियाँ घड़ावाला कांटो।
दान-दायजो कियाँ ल्यावा, कुरब-कायदो सो जासी।
पण बेटी तो परणाणि पड़सी, घणि जोरकी है फांसी।
बराती आवैला ज्यानै, कियाँ बिलमावा रे।
मैंगाई री माया न्यारी, आछा दिन आया रे।।
घी, तेल अर लूण मैंगो, मैंगी होगी दवाई।
राशण-पाणी सगलों मैंगो, मैंगी होगी पढ़ाई।
दूध-दही भी मैंगा होग्या, सावण झर आया रे।
बिना दूध म्हे भोलानाथ नै, जल से नुहाया रे।
मैंगाई री मार सूं अब कोई बच नि पाया रे।
मैंगाई री माया न्यारी, आछा दिन आया रे।।
मनोज चारण
मो. 9414582964
क्या बात है मनोज साहब,आपने तो चंद पंक्तियों में ही मोदी सरकार के वादों में छिपी सम्पूर्ण महँगाई को ही प्रतिबिम्बित कर दिया।अति प्रशंसनीय पहल-