जीवन के इस क्रीडा में,
हम सब प्रतियोगी हैं!
दुर्ग निवासी हो या टाट के,
आपस में हम सब सह्योगी हैं!!
आबाद करो तुम जीवन को,
कभी बर्बाद नहीं!
जाना है सबको म्रिदा घेरे में,
होगा कोई नाबाद नहीं!!
सामना नई मुसीबतों का,
तुम डंट कर करो!
हर काम दुसरों का,
रोशनी से हटकर करो!!
जीवन के इस क्रीडा में,
हम सब प्रतियोगी हैं!
दुर्ग निवासी हो या टाट के,
आपस में हम सब सह्योगी हैं!!
रचनाकारः नवीन कुमार “आर्यावर्ती”