छटपटाती रूह मेरी अब निकल ही जायेगी |
रूह मरती है नहीं घर यार के भी जायेगी ||
नाम ले ले करके उनका रूह कहती गीत है |
प्यार उनसे हो गया जो बेवफ़ा से मीत है ||
जो न समझे आज तक दीवाना मै उनका हुआ ?
प्यार की आराधना ही जान को ले जायेगी ||
दे बुलंदी प्यार को इतिहास हम लिख जायेंगे |
रूह का प्रतिमान पाकर उनसे मिलने जायेंगे ||
ना मिला है प्यार उनका प्यार करके अब तलक ||
रूह मेरी प्यार के ही रूप में मिल जायेगी ||
पूर्व जन्मों का कोई किस्सा है खोला रूह ने |
दर्द जो हमको मिला वो ना दिया महबूब ने ||
रूह ने महबूब को ही अब निशाने पर लिया ||
जो तड़प कर मै मरा तो जानेजाँ मर जायेगी ||
आचार्य शिवप्रकाश अवस्थी
अवस्थी जी बहुत अच्छी पंक्तियां
भाई अरुण अग्रवाल जी धन्यवाद ….