ॠषिनारद द्वारा नारायण स्तुति
सनक सनन्दन सनत्कुमार, और सनातन चारो भाई। व्रहमा जी के पुत्र हैंवे सब, नारद जी के हैं बड़ भैया। कहे सूत जी सत्यब्रती ये, गंगा दर्शन सीता धारा में, मधु सूदन के हृदय बसे वे, चारो जगदीश्वर सुखेवैया। नित्यकर्मका वे पालन करते, पितरों का भी तर्पण करते, ॠषिनारद ने कथा सुनाया, नारायण का सब गुण गाया। नारद जी बोले मुनि सुनाय, प्रभु का लક્ષण मुझेदेहु बताय, कर्म कैसे सफल होता सुनाएँ, જ્ઞાन तप ध्यान भेद बतायें। मन वाणी व शरीर बताएँ, लક્ષण बतलाये प्रभु! अभेद्य, अतिथि पूजा महत्व नरेन्द्र, प्रसन्नता समझो इसे सुरेन्द्र। गुह्य सत्कर्म अनुग्रह समझाए, नारद मुनि प्रभुઽ कृपा हर्षाइये, फिर वे गुणगान करने लगे, परमात्मा ॐ्गान करने लगे।