हमारी दिलरुबा कातिल जरा उसकी मेहर देखो |
कटा ककड़ी के जैसा दिल चलाई है नजर देखो ||
छलकती है दी’वानी की जवानी संगमरमर सी |
चमकती है सितारों सी सुधाकर का असर देखो ||
कवँल जैसे कपोलों की कली कोई है अलबेली |
अधर उसके गुलाबों से परिस्तानी हुनर देखो ||
भ्रमर से केश उसके मुस्कुराती फुलझरी जैसी |
अदाओं की महारानी उगलती है जहर देखो ||
बिछाती है गुलों को वो डगर पर तो मुसाफिर की |
गुलों में खार रखती है रकीबों का कहर देखो ||
सितमगर प्यार की वो है जहन्नुम को दिखाती है |
मिटाती इश्क की दुनिया बनी जैसे ग़दर देखो |
उसी को नाम क्या दें हम हटी है जो नहीं दिल से ?
गजनबी सा कहर उसका सिकंदर की लहर देखो ||
भुलाने में उसे शिव को लगेगा अब समय कितना ?
कहीं ऐसा न हो जाए निकल जाए उमर देखो ||
आचार्य शिवप्रकाश अवस्थी
Awasthi Sab your are very good in this.
धन्यवाद संदीप सिंह नजर जी