कविता
मीरा सूर की कविता मुरारी जी को भाई थी |
तुलसीदास ने कविता सियापति को सुनाई थी ||
कविता में गिरावट है ,मिलावट की नहीं हमने |
कविता तो हमारी भी तुम्हारे दिल पे छाई थी ||
बदली प्रीत की है रीत या फिर मीत बदले है |
ये अभिशप्त बदली है या फिर गीत बदले है ||
बदली है जो अभिशापित तो फिर बन कहर बरसे |
हम तो मृत्यु के ग्राहक न बदले थे न बदले है ||
विक्रम ने जलाए दीप दीपक राग कविता से |
पत्थर भी यहाँ पिघला कभी तांसेन कविता से ||
कविरा दो मुझे कविता मगर शिकवा न करना तुम |
पत्थर देव मेरा है गलायेंगे न कविता से ||
कविता पाठ कर कवि कुल ने देवों को बुलाया है |
मेघा राग की कविता ने जल वर्षा कराया है ||
मोहन रूप कविता में निखर आया हो तो भी क्या ?
बदली प्रीत मीरा ने मुरारी को रुलाया है ||
आचार्य शिवप्रकाश अवस्थी
अवस्था जी,कविता का नामकरण भी कर दें तो कविता का मूल्यांकन करना संभव होगा।आपकी कविता-‘कविता में गिरावट’उच्च कोटि में स्थान रखती है।
आदरनीय मुकेश शर्मा जी मैं स्वयं नहीं समझ पा रहा हूँ की इस कविता का क्या नाम दूं ….आप बता दीजिये वाही नाम रख दूंगा ..आपने कविता की तारीफ़ की इसलिए आभारी हूँ ….