मैंने गुनाह किया था समझ के जिंदगी हो
भूल गई थी की तुम बस एक अजनवी हो
पल रही अमानतको भला कैसे छुपाऊँ
राह देख रहे हो की मेरी ख़ुदकुशी हो
बता के तो जाते मेरा कसूर क्या था
अकेले छोड़ चले तुम की मेरी जग हसी हो
अंधी हो चली थी मोहब्बत में तेरे जालिम
सम्झी थी तुझे अपनी कोई ईशामसी हो
बचा के रखना खुदा इश्क में अजनवी से
मोहब्बत में किसीको न ऐसी बेबसी हो
हरि पौडेल
नेदरल्याण्ड
२५-०७-२०१४