क्या कहु इस कलम को जाने ये क्या कर जाए,
हाथ लगी जैसी संगत वैसा कमाल कर दिखाए II
जब आई हाथ में नन्हे मुन्ने के खूब रंग सजाये
अजब गजब लकीरो में अपनी सौम्यता बिखराये II
जब-जब रही हाथ गुरु के कुछ नया सबक सिखाये
कर अपना जीवन अर्पण नवयुग का निर्माण कराये II
देखो ये सुन्दर तस्वीर,किन हाथो ने करतब रचाये
कैसा सुन्दर घरोंदा बने जब वास्तुकार नक्शा बनाये II
नौकरशाह के जब हाथ में हो ये खूब नाच नचाये
आगे पीछे दौड़े दुनिया फिर भी खून के आंसू रुलाये II
छुए हाथ जब न्यायाधिपति का जीवन सफल बनाये
कर इन्साफ सच झूठ का दुनिया को न्याय दिलाये II
करती कभी ऐसा गजब भी देख तन-मन थर्राए
कसूरवार को बरी करे और बेकसूर शूली चढ़ जाए II
कह सके न जो जुबान से वो ये कर दिखलाती है
देखो कैसे मजनू को ये शायर का ख़िताब दिलाती है II
चलती है जब ये अपनी लय में प्रेम गीत बन जाता है
खट्टी मीठी यादे संजोकर दुनिया में इतिहास बन जाता है II
कभी इनायत कभी क़यामत बड़े तजुर्बे सिखाती है
पल में रुला दे पल में हँसा दे ऐसे वचन बनाती है II
नेता जी की जुबान जब फिसले शोधन कलम से कराये
करते हर पल झूठे वादे फिर भी कानून जग को सिखाये II
कलम बनी हाथ की कठपुतली,जाने कैसे कैसे लोग नचाये
जिसने तुकझो दिल से पूजा कलम का सिपाही कहलाये II
क्या करू बखान अपनी जुबान से अजब तेरी कहानी है
जन्म मरण की एक तू ही साक्षी, बिन तेरे चले न जिंदगानी है
>>>>> डी. के. निवातियाँ <<<<<<<<<<
वाह्ह्ह….एक कुशल सर्जन के हाथों के जैसे कलम का कमाल आप जैसे गुणीजन ही कर सकते हैं… हर पक्ष को बाखूबी उभारा है आपने….लाजवाब…बेमिसाल…. जितनी लाजवाब रचना है उतने ही ‘लाजवाब कविजन’ यहाँ प्रतिकिर्या न देने वाले…
आपके अमूल्य वचनो का ह्रदय से आभार बब्बू जी ………आप जैसे साहित्य प्रेमी और प्रेरक गुणीजन बहुत कम मिलते है………..हमारे विचार यदि आपके हृदय पटल पर अंकित हो जाए लेखन सार्थक हो जाता है ……………..हा हा हा सही मारा है आपने ……….आप जो जानते ही है यदि ” कवि महोदय ” पढ़ने पर भी लोगो को स्वय के कवि होने का अहसास न हो तो फिर क्या कहा जा सकता है ! सबकी अपनी अपनी विचारशीलता है I जो पढ़े सो अच्छा न पढ़े सो इच्छा उनकी I
पूण: धन्यवाद आपका !!