Homeकविता किरणनिकला करो इधर से भी होकर कभी कभी निकला करो इधर से भी होकर कभी कभी प्रजापति 'ओम' कविता किरण 21/02/2012 No Comments निकला करो इधर से भी होकर कभी कभी आया करो हमारे भी घर पर कभी कभी माना कि रूठ जाना यूँ आदत है आप की लगते मगर है ये अच्छे ये तेवर कभी कभी साये की है तमन्ना दरख्तो को भी प्यासा रहा है खुद भी समन्दर कभी कभी Tweet Pin It Related Posts ज़िन्दगी को इक नया-सा मोड़ दे मैं नहीं हिमकण हूँ जो गल जाऊंगी मेरी बातों में इक अदा तो है About The Author प्रजापति 'ओम' Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.