मेरे
पुत्रों
मेरे
प्रपौत्रों
मेरे आने
बाली पीढ़ी
के रिश्तेदारों
और
वे लोग
जो जानते हैं
मेरे बारे में
थोडा कुछ
उन सभी से
कहता हूँ मैं
मेरे जाने के बाद
जब तुम सभी
पढोगे
हिन्दीसाहित्य डॉट ओ आर जी
पर
मेरी रचनायें
जब पढेंगे
तब तक
नही रहूँगा
मैं
इस संसार में
न होगा मेरा कोई
बजूद
बची रहेंगी
मेरी यादें
और मेरे ग्रन्थ
आज दो हजार चोदह
सन में
तेबिस अगस्त
को
केवल
इसलिए
कि
तुम याद रख
सको मुझे
एक कवि के रूप में
एक साहित्यकार के रूप में
मैं चाहूँगा
इस
वंश
में पैदा होते रहे
इसी प्रकार
से कविगण
जैसे यहीं
हुए हैं अभी तक
गोपीनाथ चर्चित
मेरे रिश्ते में ताऊ
उनके बाद
इश्वर ने दिया था
ये
मौका
मुझे
इसके बाद कौन
होगा
कौन जाने
लेकिन
ये
कविता
जो तुम्हे
मेरा आशीर्वाद हैं
जनता हूँ मैं
जब तुम
पढोगे ये कविता
तब तक
हो चूका होगा
इस
धरा
पर मेरा
जन्म
कही किसी
रूप
में
फिर भी साथ
रहूँगा मैं
तुम्हे
याद रहूँगा
मैं
इसी साहित्य के माध्यम से