1-.
ऐ शमशान के राहगीर
ले चल मुझे शमशान तक,
तजकर चोला चल पड़ा हूँ
मैं तो अपने भगवान तक,
अर्थी में धक्का दे नहीं
ये जायेगी एक दिन तेरी,
धन,दौलत और दीन क्या
रह जाएँगे अरमान तक?
2-
विज्ञान कर रही है
सातवें आसमान की खोजेँ,
पति-पत्नी के प्यार में
नफरत के गुबार की सोचें,
आत्महत्या के कगार पर
सब खत्म हो रहा है,
कम्प्यूटरों से कहिए
कुछ जिन्दगी की सोचें।
3-
नहीं गर मुकर्रर
लुत्फ जिन्दगी का,
मुकर्रर है मौत
कब आएगी मगर,
बात मुफ़लिसी की
न बयां कर नादां,
शब-ए-माहताब
गुजर जाएगी मगर।
4-
क्यों उसे बदजात
कह रहे हो लोगो,
जिसकी कोई जाति
ही नहीं होती,
आज मेरे,कल उसके
और एक दिन
किसी के साथ
ही नहीं होती।
5-
ज़नाज़े के साथियों ने
मंजिल तो दी,
जिन्दगी के हमसफर ने
तन्हा कर दिया,
खिलते कमल की तरह
घर था मेरा,
ढलती शाम का
मयखाना कर दिया।
जीवन का अंतिम सच लिख डाला। अतिप्रभावी पंक्तियाँ।
अति प्रभावशाली, ह्रदय विदारक विचारशीलता का परिचय दिया है