लाख जतन तुम करो मगर, सुखमय संसार नहीं होगा। गली-गली वासना मिलेगी, सच्चा प्यार नहीं होगा। जनम रहा हूँ छल प्रपंच से, शीश महल बनवा लोगे, और तरासे पत्थर पर तुम, स्वयं नाम खुदवा लोगे। मगर तुम्हें रहने का उसमे, कुछ अधिकार नहीं होगा॥(संकलन)
sukhmangal singh born at 01/05/1957. i have from faizabad village and post ahirauli ranimau urf kotia mubarakpur. my father name is Ramsamujh singh i am a writer.