तेरी गज़ब की शक्ति है, तेरी अजब सी कश्ती है,
माँ नाव चढ़ा के तार हमे, माँ भवसागर से पार हमे,
माँ तू ही बंश बधाबाली, माँ तू ही करनल डाढ़ाली,
माँ तेरै ही चरणा शरण पड़या, माँ तू ही लाज बचाबाली,
माँ तू हिंगलाज़ तू आवड़ है, बिरवड़ तू ही इन्दरबाई,
माँ तू सैणल, तू राजल है, तू ही है माँ मेहाई,
माँ थारै मढ़ मैं जोत जगै, अर काबा करै किल्लोल अठे,
माँ धजा फरुकै मन-मोणी, नौबत बाजै है पोल जठे,
कर जोड्या मैं अरदास करूँ, थारो ही तो विश्वाश धरूँ,
माँ और किणा री आस करूँ, माँ थापे ही विश्वाश करूँ,
अरजी हमारी सुण अम्बा, चरणा में चारण तेरो है,
लाज कुमार की थे राखो, लाजलो तो बिड़द ओ तेरो है।।
मनोज चारण “कुमार”
मो॰ 9414582964