1-
जादू तेरे इश्क में,फ़कत इतना लिखा था,
सर से धड़ दिल यार से जुदा।
2-
देख लूं उनको अगर
जी लगे मेरा,
दोस्ती में यार के
नाम का रुतवा।
3-
देने लगे हम उन्हें
इस तरह तकरीर,
शायरी में शेर का
उम्दा खयाल हो।
4-
कहो मत करते रहो
करते रहो सितम,
बंदजुबां खामोश-पर
टोकता है कौन?
5-
क्यों न बढ़ा दें बाजुऐं
थाम लें जिगर,
बंदिश नहीं निगाह पे
जब हमारे दरम्यां।
6-
दिल लगा हो जिस महफिल
वो दरीचा,
अपनी किस्मत पे
जी भर मुस्कुराता है।
7-
कैसे कहे कोई
मसीहानफ़शां उनको,
बदौलत जिनकी
जिन्दगी मयज़ाम हुई।
8-
लगा हूँ कि लग जाए
दरख्वास्त अपनी भी,
आखिर मुझे भी
उस पार जाना है।
9-
बोसा दे न दे मगर
पीने तो दे शराब,
आदमी की जिन्दगी को
हरकत मगर चाहिए।
10-
दिखाना जुल्फ को दर्पण
अगर वो हुस्न माँगे तो,
कहना बेवफ़ा उसको
हर शय नहीं अच्छा।
11-
ऐ हसीं,मुद्दआ रख
वास्ता-ए-फ़रोगे-हुस्न,
नुमाइश बेआबरू गर
बेवजूद निकली।
12-
आइए इस दरम्यां कुछ
पहचान तो कर लें,
मालूम किसे कि फासले
फिर मुकर्रर हों।
शब्दार्थ-
1-तकरीर/भाषण
2-बोसा/चुम्बन
3-मसीहानफ़शां/मुर्दों में जान फूकने वाले
[email protected]/9910198419