विनम्रता और प्रेम मनुष्य का आभूषण है
सुनते ही मैं विनम्र हो गया
विनम्रता ने दिया शोषित होने का सुख
प्रेम में सराबोर होते ही
धोखा खाने के अनुभव से प्रफुल्लित हो गया मन
स्वामी जी ने दिया दूसरा सूत्र
आस्था जीवन में पवित्रता का संचार करती है
उनकी वाणी सिद्ध थी
घुस गयी मेरे पोर-पोर में
आस्था से लबालब होकर
पवित्रता के समुन्द्र में डूब गया मैं
मेरे शव का पोस्टमार्टम चल रहा है
बहुत कुछ निकल रहा है मेरे अंदर से
जो दीमक की तरह लग रहा है समय पर
श्रद्धा तो पहले से ही थी मेरे अंदर
जो सत्संग के दौरान निकल कर बाहर आगयी
बोली स्वामी जी कृपा हो गयी है तेरे ऊपर
तू सबसे सौभाग्यशाली भक्त है
इस एवज देनी होगी गुरू दक्षिणा
स्वामी जी ने भोग विलास की प्रवृति से
समाज को मुक्त करने का अभियान चला रखा है
इसलिए दक्षिणा में सिर्फ स्त्रीलिंग लेते हैं
सबको मुक्त करते हैं
सब हिस्सा स्वंम भोगते हैं
कितना बड़ा त्याग
कितनी कठिन तपस्या
स्वामी जी की जै
और अर्पित कर दिया गुरू दक्षिणा
उनके चरणों में
अंत में स्वामी जी ने स्वीकार भाव की महिमा बतायी
नतमस्तक् हो कर आत्मसात् किया मैंने स्वीकार भाव
सत्संग समाप्त हो चुका था
स्वामी जी वातानुकूलित कक्ष में विश्राम कर रहे थे
भक्तों द्वारा अर्पित स्त्रीलिंग का भोग कर रहे थे
नेता जी फोन पर उनसे आशीर्वाद ले रहे थे
अगले सत्संग की व्यवस्था और जगह पर
मार्गदर्शन प्राप्त कर रहे थे
मैं एक सच्चा भक्त
स्वामी जी की कृपा से ओत-प्रोत
अत्यंत सौभाग्यशाली और स्वीकार भाव से भरा
विनम्रता और प्रेम मेरे अंदर निर्झर बह रहे थे
मोक्ष का स्वप्न साकार होने को आतुर था
मेरे जेब में जो कुछ भी माया-मोह बचा था
आरती की थाली ने
उससे भी मुक्त कर दिया
अब टोल नाके की तरह दानपेटी सामने था
जिसके उसपार मोक्ष का विमान खड़ा था
दानपेटी के लिए मेरे पास कुछ भी नही बचा था
इसलिए स्वंय ही मुड़तुड़कर पड़ गया
दानपेटी में
दानपेटी जिसपर जड़ा था बहुत मोटा ताला
अब कभी – कभी ताला खोलकर
स्वामी जी अपने पालतू कुत्ते की तरह
मुझे सहलाते हैं और छू कर देते हैं
मैं दौड़ता – दौड़ता जाता हूँ
वोट डाल आता हूँ
स्वामी जी छू कर देते हैं
तर्क और विवेक को नोंच डालता हूँ
स्वामी जी छू कर देते हैं
भौंकने लगता हूँ – धर्म खतरे में है
लार टपकाने की आदत पहले से ही थी
अब पूँछ भी उग आयी है
जो हिलती रहती है
अपरम्पार है सत्संग की महिमा
सुनना शुरू किया तो मनुष्य था
अंत तक आते-आते कुत्ते में बदल गया
निश्छल, पवित्र और आज्ञाकारी कुत्ता
अब तो सिर्फ मोक्ष का इंतजार है
कुत्तों को मोक्ष ही प्राप्त होता है ।