(१)
हे ! मानव कुछ ऐसा करदो,
धरती नाज़ करे !
तुम ईश्वर की अनुपम कृति हो,
ईश्वर गरभ करे !!
(२)
मानवता की ज्योति जलादो !
ऊॅच-नीच का भेद मिटादो !!
आँखों के अविरल आंशू में,
प्रेम सुधा बरसे !
हे ! मानव कुछ ऐसा करदो,
धरती नाज़ करे !!
(३)
पाहन की पूजा न करो तुम !
ना मस्ज़िद में दुआ करो तुम !!
अपने अंतकरण को माँझो,
सुरसरि नीर तले !
हे ! मानव कुछ ऐसा करदो,
धरती नाज़ करे !!
(४)
आना-जाना लगा रहेगा !
कर्म करो जो अमर रहेगा !!
जन-जन का मस्तक झुक जाए,
तेरे चरण तले !
हे ! मानव कुछ ऐसा करदो,
धरती नाज़ करे !!
(५)
तुम मिट्टी हो जग मिट्टी है,
मिट्टी में मिलना ही होगा !
अमर रहेगा नाम हम्हारा,
तुमको मरना ही होगा !!
कण-कण में हो गंध तुम्हारी,
जग गुण-गान करे !
हे ! मानव कुछ ऐसा करदो,
धरती नाज़ करे !!
(६)
ना जननी की कोख़ लजाओ !
ना धरती का बोझ बढ़ाओ !!
गात-गात में पात-पात में,
ऋतु बसंत छलके !
हे ! मानव कुछ ऐसा करदो,
धरती नाज़ करे !!