देवी कब देबू दरशनवाँ,
अब ॠतु चढ़े सवनवाँ ना।
केहू चढ़ावे दधि दूध अच्छत,
केहू चढ़ावे बेलपतिया,
देवी कब देबू दरशनवाँ,
अब ॠतु चढ़े सवनवाँ ना।
रानी चढ़ावें दधि दूध अच्छत,
अब ॠतु चढ़े सवनवाँ ना।
देवी कब देबू दरशनवाँ–॥
केहू चढ़ावे हरिनी से हरिना,
केहू गोदी के लाल।
देवी कब देबू दरशनवाँ,
अब ॠतु चढ़े सवनवाँ ना।
राजा चढ़ावे हरिनी से हरिना,
रानी गोदी के लाल।
देवी कब देबू दरशनवाँ,
अब ॠतु चढ़े सवनवाँ ना।
केहू चढ़ावे हाथी घोड़ा,
केहू गले का हार।
देवी कब देबू दरशनवाँ,
अब ॠतु चढ़े सवनवाँ ना।
राजा चढ़ावे हाथी घोड़ा,
रानी गले का हार।
देवी कब देबू दरशनवाँ,
अब ॠतु चढ़े सवनवाँ ना।
बधाई ! हिंदी साहित्य काब्य संकलन