आज चली गई एक और बेटी
नाम उसका हे दामिनी
सारे अरमानो का गला गोट दिया
दामिनी ने तो अपना सब कुछ खो दिया
कितनी बेरहम थी उसकी मोत
सुनकर उसकी वो बाते आ जाये मोत
ना उसको इंसाफ मिला
मिल गई उसे तो मोत
आज हर बेटी घर से निकलने से डरती हे
आज हर बेटी अपनी जिन्दगी जीने से डरती हे
जो लगाम हो वो सब बेटी पे
बेटे जो करे वो सब सही हे धरती पे
ना करो इतना जुल्म-ए -इंसानों
ना करो पावन धरती माँ को गंधा
कभी कोख में तो कभी रोड पर फेकी जाती हे बेटिया
मत करो अब ये पाप
मत लो बेटी के श्राप
बेटी बचालो साथियो
बेटी बचालो साथियो
लेखक :-चन्दन राठौड़
समय :- 02:36 PM
दिंनाक :-29/12/012