फिर कह रहा है रास्ता राही से, लिख फिर इक नया दिन नयी स्याही से
ले दिल में नयी उमंग नया जूनून, चला चल निरंतर न ले तू सुकून |
हर टेढ़े-मेढ़े रस्ते पर, चलना तू अडिग कदमों से,
न खोये खुद पर से विश्वास तेरा, जीवन के तूफानी सदमों से…
हर बढ़ती हुयी कठिनाई पे, कर ले तू हौसला और बुलंद,
तू तोड़-खोल उन जंजीरों को, जिनमें है तेरी तकदीर बंद..
तू दे अपनी फरमाइश को ख्वाइश का नाम, और दे अपने इरादों को खुद अंजाम,
तय कर तू अपनी सुबह और शाम, दे अपनी ज़िन्दगी को अपना नाम….
The last four lines are so beautiful
Dhanyawaad Nandaji