अजनबी से अजनबी रही
ज़िन्दगी एक पहेली रही !
मतलब से जिसने कभी देखा
आईने में आईने सी रही !
उन से ही था रिश्ता मेरा
दोस्ती अब न ऐसी रही !
आप ही के न आने से यहाँ
आज महफ़िल अधूरी रही !
ज़िन्दगी पर एतबार कैसे
मौत ही मंज़िल मेरी रही !
पलकें “आँसू” से भीगने लगी
ज़िन्दगी में बस नमी रही ॥
जैन अंशु डी० आँसू