Homeअशोक बाबू माहौरधूप में धूप में navneet अशोक बाबू माहौर 08/06/2014 No Comments धूप में खड़े अनमने पेड़ बबूल के नीम के I झाड़-झकूटे लताएँ हरी घासें समेटे हाथों को I तनिक लहराती सजाकर सिर पर नुकीले तीरों को I हवाओं के पथ पर अडिग होकर मनचले नन्हे पोधे, दिखाते छाती को आँखों को गुस्से से I Tweet Pin It Related Posts थोड़ी सी हॅसी चुनावी डंका चरित्रहीन पत्नी (कहानी ) About The Author navneet Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.