करारा नोट, पहुंचा जब तिजोरी में
लेकर अंगड़ाई सुस्ताने लगा तिजोरी में
न कोई उसको दखल दे
सुस्ताया अपनी तड़ी में
मुरझाया नोट एक तभी
दाखिल हुआ तिजोरी में
सांस भी उसकी अटकी तभी
जब फेंका उसे तिजोरी में
आकर गिरा जब वो अन्दर
सिमट गया अपनी सिकुडन में
पहले से था जो सिकंदर
दखल पड़ा उसकी अकडन में
आया जैसे बड़ा बवंडर
दहशत थी उसकी धड़कन में
सिकंदर को आ गया तरस
सामिल हुआ उसकी धड़कन में
करारे नोट ने पूछा उससे
क्यों तुम इतने सिकुड़े हो
क्या तुम्हारी समस्या है
क्यों तुम इतने बिखरे हो
मुरझाया नोट बिखर पड़ा
बोला अभी तुम नए हो
मुझे पकड़ कर ऐसे मोड़ा
जैसे कहीं के चोर हों
न जाने कैसे–कैसे हाथ
मुझे लगाते हैं
कोई गीले कोई रंगीले हाथ
मुझे लगाते हैं
अच्छी खासी सूरत मेरी
चंद मिनटों में बिगाड़ते हैं
करारी सूरत तुम्हारे जैसी
नहीं हमें रहने देते हैं
पसीजी हुई हमारी हालत
पे लोग मुँह बनाते हैं
ये क्या कर दी इसकी हालत
लेने में संकोच करते हैं
ये गीला है, ये फटा है
दूसरा दे दो, नहीं चलेगा
फट जाएगा जेब में
मुझसे नहीं कोई लेगा
नया-नया जब आया था
तुम्हारे जैसा दिखता था
मेरा भी कुछ रुतबा था
हर कोई पसंद मुझको करता था
अब देखो मेरी हालत
उड़न छू हो गयी मेरी ताकत
भिखारी जैसी हो गयी हालत
अब न आएगी मुझमें ताकत
लगा लगा के मुझमें टेप
कर दिया मेरा सबने रेप
इधर उधर से फटा हुआ मैं
चेहरे सबके देख रहा मैं
कोई तो मुझको ले लो भाई
देखो कैसी रीत चलाई
सबने अपना फायेदा देखा
मेरा न किसी ने बिलकुल सोचा
आखिर धीरज मेरा टूट गया
मौका मैं चूक गया
जन-जन में बात फैलाई
न मुझको त्यागो भाई
न खुश हो तुम मुझसे
अलविदा न कहना मुझसे
बैंक में जमा करा कर मुझको
नया जीवन दान दो मुझको
करारा नोट अब सुबक रहा था
देख कर उसको तड़प रहा था
निकल गयी उसकी सारी अकड़
उसको हो गयी अपनी फिकर
एक दिन ऐसा आएगा
मुझको भी पता चल जाएगा
मुझको भी लगेंगे सबके हाथ
न जाने कैसे हाथ
मेरी भी हालत ऐसी होगी
न जाने कैसी होगी
रुतबा मेरा कब तक होगा
कब तक मेरा सम्मान होगा
किधर-किधर से गुजरना होगा
कैसे –कैसे सिकुड़ना होगा
समझ गया मैं तुम्हारी पीड़ा
अब न करूँगा तुमसे क्रीडा
देवेश दीक्षित
9582932268