भारत का स्वर्ग कश्मीर,
अब हो गया गंभीर ।
क्योंकि उसके सीने में,
ठोक दी है कील ।
नदियाँ बह गयीं लहू की,
चहुँ ओर मची है चीख ।
लाशें पड़ीं निर्दोषों की,
फिर भी धरे हैं धीर ।
जिसकी हरी-भरी वादियाँ,
उठाती थीं शमशीर ।
उन्हीं में छिपी परछाइयाँ,
झुकाती हैं अब शीष।
ऐसे कातिलाना हमलों से,
झुक गई है रीड़ ।
मदद को अबऐसे में,
कौन आएगा मीत ।
जिसका कर्म है सुरक्षा का,
वही धरे हैं धीर ।
बाकी को हम क्या कहें,
कैसा है हमारा कश्मीर ।
देवेश दीक्षित
9582932268