घूमे वह इधर-उधर,
छान ले वह पूर शहर,
फिर भी अन्जान है रेह्ता,
एक ही नझर सब कुछ है केह्ता .
कोइ इसे बुरी मानता है,
तो कोई लोगो को देख्नने हेतु तड्पता है .
नझर कर देता है ऐसा असर,
दे देता है वो दिल की खबर .
कुछ भी नही,
है वो छुपाता,
सच्चाई को वो,
है आन्खो मे दिखाता.
खो जाता है कभी,
अपनी ही धुन्की मे,
रह्ता नही वो होश मे,
कर देता है यू ही लोगो को मुट्ठी मे .
यू ही झुकाये उन्हे,
तू है खडी वहा,
खोजती है तू इन्मे,
अपने सवालो के जवाब .
घूमे वह इधर-उधर,
छान ले वह पूर शहर,
फिर भी अन्जान है रेह्ता,
एक ही नझर सब कुछ है केह्ता .
नझरे जब मिल्ती है,
तो दिल मे खुशी होती है,
हमेशा के लिये कैद कर दे उसे,
न फिरे उस्से हमारी नझरे .
नझरे बहुत कुछ कह जाती है,
बिन झप्काये पलक,
आसानी से वो,
दिल पर देती है दस्तक .