sukhmangal singh born at 01/05/1957. i have from faizabad village and post ahirauli ranimau urf kotia mubarakpur. my father name is Ramsamujh singh i am a writer.
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Sukhmangal Singh23/04/2014
“सुखमंगल सिंह की प्रकाशित कविताएं”
1- आराधना,
2-काशी का चातुर्मास,
3-कल्प,
4- पुकार,
5- वक्त,
6- राखो चुंदरिया संवारि,
7- आर्थिक विषमता,
8- पान मसाला,
9-बाबा हमहूँ काशी आयो?,
10- अनोखी काशी!
11-भाषा,
12- हृदय सुधा,
13- कर्म का वंधन,
14- मुक्तद्वय,
15- हुँकार भरो हिंदी,
16- नारी जागो,
17 नारी कब जागोगी,
18- सत्यो की सत्य संजीवनी काशी,
19- स्वर्ग भूमि–काशी,
20- किरनावली मचलने लगी,
21- सठियाय गया भारत?
22-श्रीकृष्ण,
23-वोटर,
24- पं0 सुधाकर,
25-जीने दो,
26- चलते चलो चलते चलो,
27- बव्रज वीथिन होरी,
28- बदरंग,
29- झोरी-होरी,
30- सद्भावना,
31- हमरी दइयाँ निष्ठुर भइला हो बनवारी,
32- अंधकार,
33- झूला,
34- रात,
35- दिलवर,
36- नदियों में गंगा,
37- पिचकारि,
38-शहर में अंधेरा,
39- बरसात करा के न जाइए,
40- माँ,
41- कुंडली मारि बैठे,
42- खास बताया नहीं जाता,
43- कवि,
44- बहिनों की पुकार,
45- ड्योढी दईतरा बाबा के,
46- भ्रष्टाचार एटमवम हो गइल?
47- अट्हास करता इतिहास,
48- मौसमी मन,
49-हुँकार कर,
50- स्वप्नदल,
51- होली की बाजार,
52- होली चहकी,
53-वालायोगी,
54- हरिबाना,
55- भूचाल,
56- कल्पनाएं,
57-अरुस फुलायल होली में,
58- इंसान बनकर देख,
59- मंगल वानी,
60- तंद्रा,
61- भारत महान,
62- जरासन्न,
63- अमृत छोड़ मैखाने जाते,
64- भूलो बीती बात,
65- जेठ,
66- पुष्टि करता,
67- कृष्ण लाल आइके,
68- गाओ गान,
69- शंख बजे,
70- रंग जमादे,
71- नया भोर,
72- ख्याल करो,
73-श्रीपति आवत,
74- मानवता,
75- प्रणाम,
76- आने वाला समय,
77- पावस पर्व,
78- धनि-धनि जसोमति,
79- कुछ उपाय करो,
80- खादी बनाम इतिहास,
81- मुल्क,
82- मंत्र,
83-ક્ષत्रिय,
84- बालाएं गायेंगी,
85- आँसू पोछ तू अपनी हिंदी,
86- गंगा महिमा,आदि
“सुखमंगल सिंह के प्रकाशित पत्रिकाओं में लेख”
1-साहित्तिक गौरवमयी काशी, काशी संचार संदेशसन्2011
2-काशी है विद्वानों की खान;यही है पहचान, वाराणसी वुलेटन17से23 अगस्तसन्2010
3-गुरु शिष्य की परम्परा की शुरुवात कब और कैसे? वही13से19जुलाई2010
4-पुरातन काल से विद्या का केन्द्र-काशी, काशी संचार संदेशसन् 2010
5-काशी में हिंदू राज्य कैसे, समाचार एक्सप्रेस दिसम्वर7,सन्2007व नागरी पत्रिका वाराणसी
6-वाराणसी दर्शनीय स्थल, काशी संचार संदेश सप्तम अंक
7-मुक्तिदायनी पापनाशिनी काशी, काशी संचार संदेशसन् 2003
8-काशी जैसा अविमुक्त ક્ષેत्र नहीं, काशी संचार संदेशसन्2004
9-काशी का समन्वात्मक स्वरूप, काशी संचार संदेश सन्2005
10-धर्म की आस्था पर हम सभी एक हैं, शिवांजलि,हिंदी विकी
11-भरत चरित्र चिंतन, नागरी पत्रिका सन्2005
12-मातृ महिमा चिंतन, नागरी पत्रिका सन्2006
13-काशी कहाँ चली तू, नागरी पत्रिका सन् 2005
14-अलौकिक જ્ઞાन राशि और भक्ति भावना की नगरी है काशी, काशी संचार संदेशसन् 2002
15-होली आई हो , नागरी पत्रिकासन् 2006,—
16-विलક્ષण प्रतिभा सुदृढ़ आत्मवल और जन-जन प्रेमी थेपं0 सुधाकर पाण्डेय, नागरी पत्रिका सन् 2006
17- महा कवियों की होली, नागरी पत्रिका सन्2007
18- हिंदी पुरुष पं0 सुधाकर पाण्डेय, सन् 2007नागरी पत्रिका
19- स्वर्ग भूमिજ્ઞાनोद्गम काशी, पं0 कमला पति जी की स्मारिकासन्2008 वाराणसी
20-प्रो0 शुकदेव सिंह माटी से जुड़े साहित्यकार मनीषी पुरुष थे, (शबद शिल्पी)वि0वि0 प्रकाशन
21-नारी कब जागोगी, समाचार एक्सप्रेस सन् 2008 व हिंदी विकी
22- काशी की पुत्री वीरांगना लક્ષ્मीवाई, हिंदी विकी,काशी संचार संदेश
23-सत्यों की सत्य संजीवनी काशी, काशी संचार संदेश सन् 2008
24- जागो नारी, समाचार एक्सप्रेससन् 2008 व हिंदी विकी
“हिंदी की शाख बढ़ी ”
“हिंदी की शाख बढ़ी ”
हिंदी की शाख बढ़ी ,
दुनिया की आँख गड़ी |
गंगा की धाख बढ़ी ,
शिक्षक भी बेवाक चढे ||
नर- नारी खाप खड़े ,
मुल्लाओं के चाप चढ़े |
यूं.पी. के साथ चलें ,
धर्मराज क राज चले ||
स्वच्छता- हाथ बढे,
आमजन का काज चले |
हिंदी -परिपाटी बढे ,
हिंदी क सहपाठी गढ़ें ||
चोरी राज पढ़ें ?
विकास के साथी बढ़ें |
हिंदी -शाबाश कहें ,
हिन्दुस्तानी राज गढ़ें ||
संस्कृति ‘मंगल’ बढे-
भी जनता साथी गढे |
हिंदी की शाख बढ़ी ,
दुनिया की आँख गड़ी||-सुखमंगल सिंह
“सुखमंगल सिंह की प्रकाशित कविताएं”
1- आराधना,
2-काशी का चातुर्मास,
3-कल्प,
4- पुकार,
5- वक्त,
6- राखो चुंदरिया संवारि,
7- आर्थिक विषमता,
8- पान मसाला,
9-बाबा हमहूँ काशी आयो?,
10- अनोखी काशी!
11-भाषा,
12- हृदय सुधा,
13- कर्म का वंधन,
14- मुक्तद्वय,
15- हुँकार भरो हिंदी,
16- नारी जागो,
17 नारी कब जागोगी,
18- सत्यो की सत्य संजीवनी काशी,
19- स्वर्ग भूमि–काशी,
20- किरनावली मचलने लगी,
21- सठियाय गया भारत?
22-श्रीकृष्ण,
23-वोटर,
24- पं0 सुधाकर,
25-जीने दो,
26- चलते चलो चलते चलो,
27- बव्रज वीथिन होरी,
28- बदरंग,
29- झोरी-होरी,
30- सद्भावना,
31- हमरी दइयाँ निष्ठुर भइला हो बनवारी,
32- अंधकार,
33- झूला,
34- रात,
35- दिलवर,
36- नदियों में गंगा,
37- पिचकारि,
38-शहर में अंधेरा,
39- बरसात करा के न जाइए,
40- माँ,
41- कुंडली मारि बैठे,
42- खास बताया नहीं जाता,
43- कवि,
44- बहिनों की पुकार,
45- ड्योढी दईतरा बाबा के,
46- भ्रष्टाचार एटमवम हो गइल?
47- अट्हास करता इतिहास,
48- मौसमी मन,
49-हुँकार कर,
50- स्वप्नदल,
51- होली की बाजार,
52- होली चहकी,
53-वालायोगी,
54- हरिबाना,
55- भूचाल,
56- कल्पनाएं,
57-अरुस फुलायल होली में,
58- इंसान बनकर देख,
59- मंगल वानी,
60- तंद्रा,
61- भारत महान,
62- जरासन्न,
63- अमृत छोड़ मैखाने जाते,
64- भूलो बीती बात,
65- जेठ,
66- पुष्टि करता,
67- कृष्ण लाल आइके,
68- गाओ गान,
69- शंख बजे,
70- रंग जमादे,
71- नया भोर,
72- ख्याल करो,
73-श्रीपति आवत,
74- मानवता,
75- प्रणाम,
76- आने वाला समय,
77- पावस पर्व,
78- धनि-धनि जसोमति,
79- कुछ उपाय करो,
80- खादी बनाम इतिहास,
81- मुल्क,
82- मंत्र,
83-ક્ષत्रिय,
84- बालाएं गायेंगी,
85- आँसू पोछ तू अपनी हिंदी,
86- गंगा महिमा,आदि
“सुखमंगल सिंह के प्रकाशित पत्रिकाओं में लेख”
1-साहित्तिक गौरवमयी काशी, काशी संचार संदेशसन्2011
2-काशी है विद्वानों की खान;यही है पहचान, वाराणसी वुलेटन17से23 अगस्तसन्2010
3-गुरु शिष्य की परम्परा की शुरुवात कब और कैसे? वही13से19जुलाई2010
4-पुरातन काल से विद्या का केन्द्र-काशी, काशी संचार संदेशसन् 2010
5-काशी में हिंदू राज्य कैसे, समाचार एक्सप्रेस दिसम्वर7,सन्2007व नागरी पत्रिका वाराणसी
6-वाराणसी दर्शनीय स्थल, काशी संचार संदेश सप्तम अंक
7-मुक्तिदायनी पापनाशिनी काशी, काशी संचार संदेशसन् 2003
8-काशी जैसा अविमुक्त ક્ષેत्र नहीं, काशी संचार संदेशसन्2004
9-काशी का समन्वात्मक स्वरूप, काशी संचार संदेश सन्2005
10-धर्म की आस्था पर हम सभी एक हैं, शिवांजलि,हिंदी विकी
11-भरत चरित्र चिंतन, नागरी पत्रिका सन्2005
12-मातृ महिमा चिंतन, नागरी पत्रिका सन्2006
13-काशी कहाँ चली तू, नागरी पत्रिका सन् 2005
14-अलौकिक જ્ઞાन राशि और भक्ति भावना की नगरी है काशी, काशी संचार संदेशसन् 2002
15-होली आई हो , नागरी पत्रिकासन् 2006,—
16-विलક્ષण प्रतिभा सुदृढ़ आत्मवल और जन-जन प्रेमी थेपं0 सुधाकर पाण्डेय, नागरी पत्रिका सन् 2006
17- महा कवियों की होली, नागरी पत्रिका सन्2007
18- हिंदी पुरुष पं0 सुधाकर पाण्डेय, सन् 2007नागरी पत्रिका
19- स्वर्ग भूमिજ્ઞાनोद्गम काशी, पं0 कमला पति जी की स्मारिकासन्2008 वाराणसी
20-प्रो0 शुकदेव सिंह माटी से जुड़े साहित्यकार मनीषी पुरुष थे, (शबद शिल्पी)वि0वि0 प्रकाशन
21-नारी कब जागोगी, समाचार एक्सप्रेस सन् 2008 व हिंदी विकी
22- काशी की पुत्री वीरांगना लક્ષ્मीवाई, हिंदी विकी,काशी संचार संदेश
23-सत्यों की सत्य संजीवनी काशी, काशी संचार संदेश सन् 2008
24- जागो नारी, समाचार एक्सप्रेससन् 2008 व हिंदी विकी
“हिंदी की शाख बढ़ी ”
“हिंदी की शाख बढ़ी ”
हिंदी की शाख बढ़ी ,
दुनिया की आँख गड़ी |
गंगा की धाख बढ़ी ,
शिक्षक भी बेवाक चढे ||
नर- नारी खाप खड़े ,
मुल्लाओं के चाप चढ़े |
यूं.पी. के साथ चलें ,
धर्मराज क राज चले ||
स्वच्छता- हाथ बढे,
आमजन का काज चले |
हिंदी -परिपाटी बढे ,
हिंदी क सहपाठी गढ़ें ||
चोरी राज पढ़ें ?
विकास के साथी बढ़ें |
हिंदी -शाबाश कहें ,
हिन्दुस्तानी राज गढ़ें ||
संस्कृति ‘मंगल’ बढे-
भी जनता साथी गढे |
हिंदी की शाख बढ़ी ,
दुनिया की आँख गड़ी||-सुखमंगल सिंह