जब कभी,
आँख लगती थी मेरी,
मै,
सो जाती थी |
क्या पता,
क्या हो जाता था मुझे,
दिल-ही-दिल मे,
घबरा जाती थी |
आंसू,
बहते थे आँखों से,
तेरे पल्लू से,
पोछ देती थी उसे |
गोदी,
मे सो जाती थी मै,
लोरी,
को सुनती थी मै |
तू मुझे,
कहानियां सुनाती,
और मै खयालो मे खो जाती |
उस पल मे,
है इतना प्यार भरा,
कोई भी,
इसे चुरा न सका |
मीठे,
सपने बुनती थी मै,
उन लोरियों को,
ध्यान से सुनती थी मै |
तेरी गोदी,
मुझे याद आती है,
उसकी नर्मी,
मुझे याद आती है|
मुझे तेरी हर बात,
आज है समझ आई,
क्या पता क्यो मैने,
है तुझसे की लड़ाई |
छोटी-छोटी बातो पर,
होती थी नोक -झोक,
कुछ करना चाहूँ,
तो होती थी रोक-टोक |
चोट लगती थी,
तो तेरे नरम हाथ,
मुझे यह एहसास दिलाते थे,
कि तू थी मेरे साथ |
मुझे कोई अफसोस नही,
कि तू सुन नही सकती,
तेरी गोदी ने मुझे सिखाया,
कि हर माँ मे होती है ममता |
उसे है ईश्वर ने बनाया कुछ इस तरह,
कि अपने दिल मे किसी को भी दे दे वह जगह,
बस थोड़ा सम्मान और आदर है मांगती,
मेरी मां है सब कुछ जानती |
bahut achha