भरोसा अश्रु बहा रहा
झूठ बजाए ताली
सीमित भरोसा रह गया
मुख में आए गाली
एक परसेंट रह गया भरोसा
कहाँ गए सब बाकी
झूठ ने खोला है ताला
निकल आए सब पापी
झूठ की बढ़ गयी है सीमा
बढ़ गयी अब गद्दारी
जूठ ने ऐसा राग सुनाया
फीकी पड़ गयी वाणी
भरोसा अब तो रूठ गया
पड़ गया उस पर पानी
झूठ ने ऐसा खेल रचाया
मारी फिर किलकारी
झूठ का अब तो जोश बढ़ गया
बढ़ गयी अब लाचारी
जन जन में अब झूठ समाया
भरोसा रहा न बाकी
भरोसा अब फरियाद कर रहा
हे ईश्वर प्रतापी
कैसा तुमने खेल रचाया
क्यों बढाए पापी
कैसा ये कलयुग आ गया
मेरी सुने न कोई
शक्तिशाली झूठ आ गया
मेरी सुध है खोई
सांस मेरा अब थम रहा
मुक्ति की आई बारी
उजाला मेरा छुप रहा
आ गया झूठ महापापी
पल पल अब तो जुर्म बढ़ रहा
बन गए आतंकवादी
दौर हत्यायों का बढ़ चला
पीट रहे परिजन छाती
वर्दी वाला शांत है बैठा
पहन के वर्दी खाकी
शरण में इनकी जुर्म पल रहा
बनते हैं ये गांधी
गांधी भी अब मौन हो गया
रह गया क्या अब बाकी
आतंकियों ने बम को फोड़ा
बम भी हो गया बागी
बड़े शोक में बम है बैठा
किसको भेजूं पाती
नहीं है भाता खून खराबा
आतंकियों के समझ न आती
ईश्वर मेरे जल्दी आना
पाप की घटाना अवधी
न ख़तम हो किसी का भरोसा
महिमा दिखाना जल्दी
देवेश दीक्षित
9582932268
Fantastic 👍👍